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Class 10th Social Science Subjective Viral Question Answer 2025 Bihar Board

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By Justwell Education

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Class 10th Social Science Subjective Viral

Class 10th Social Science Subjective Viral Question Answer 2025 Bihar Board

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2025 इस लेख में हम आपको 20 फरवरी सोशल साइंस का वायरल लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न बताने वाले हैं । जो आपका सीधा परीक्षा में पूछे जाएंगे यदि आप लोग इस प्रश्न को याद करके जाते हैं । तो हंड्रेड परसेंट आपको परीक्षा में पूछा जाएगा और आप लोगों से बना पाएंगे और आपका एक भी नंबर नहीं छूट पाएगा तो आप लोग जितना हो सके इसलिए को पूरा अब तक पढ़े और अपने दोस्तों के पास शेयर जरूर करें ।

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Social science Subjective 

Class 10th Social Science Subjective Viral

प्रश्न 1. बिहार में ग्रेफाइट एवं यूरेनियम के वितरण को लिखिए।

उत्तर– बिहार में ग्रेफाइट का वितरण मुख्य रूप से मुंगेर तथा रोहतास जिलों में है। इसे ब्लैक लीड (Black Lead) के नाम से भी जाना जाता है। यूरेनियम बिहार राज्य में नहीं मितला। मिलता है तो हमारे पड़ोसी राज्य झारखंड में झारखंड अभी हाल तक बिहार का ही अंग था।

प्रश्न 2. बिहार में तापीय विद्युत् केन्द्रों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- बिहार में तापीय विद्युत् केन्द्र निम्नलिखित स्थानों पर अवस्थित हैं: कुछ तापीय विद्युत केन्द्र प्रस्तावित भी हैं। जैसे: (i) कहलगाँव, (ii) काँटी तथा (iii) बरौनी । (i) बाढ़ तथा (ii) नबी नगर ।

प्रश्न 3. सोन नदी घाटी परियोजना से उत्पादित जल-विद्युत का वर्णन कीजिए ।

उत्तर- सोन नदी का पश्चिम तट रोहतास जिले तथा पूर्वी तट औरंगाबाद जिले में पड़ता है। डिहरी से निकली पूर्वी सोन नहर से वारुण में जल विद्युत् का उत्पादन होता है, जबकि पश्चि‌मी नहर से इन्द्रपुरी में बिजली उत्पन्न की जाती है। इन दोनों नहरों से क्रमशः 6.60 मेगावाट तथा 3.30 मेगावाट बिजली उत्पन्न की जाती है। सोन नहर से ही कुछ और जल विद्युत् उत्पादन की योजना प्रस्तावित है।

प्रश्न 4. बिहार में जल विद्युत् के विकास पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर- बिहार में जल विद्युत् उत्पादन का प्रयास 1982 से आरंभ हुआ। इसके लिए बिहार राज्य जल विद्युत निगम (B.H.P.C.) का गठन हुआ। इसके द्वारा 2055 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य है।

रोहतास जिले के डिहरी स्थित पश्चिम सोन परियोजना तथा औरंगाबाद जिले में वारूण में पूर्वी सोन नदी परियोजना के लिए लिंक नहर से विद्युत् का उत्पादन हो रहा है। पश्चिमी चम्पारण जिले बाल्मीकि नगर तथा कटैया परियोजना से अभी विद्युत् उत्पादन हो रहा है। इनके अलावे भी अनेक परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं.

प्रश्न 5. बिहार में पाए जाने वाले खनिजों का वर्गीकरण कर किसी एक वर्ग के खनिज का वितरण एवं उपयोगिता लिखिए ।

उत्तर- बिहार में पाए जाने वाले खनिजों का यदि हम वर्गीकरण करें तो इन्हें दो वर्गों में रख सकते हैं। पहला धात्विक खनिज तथा दूसरा अधात्विक खनिज । बिहार में प्राप्य अधात्विक खनिज का विवरण निम्नलिखित है : विहार में प्राप्य अधात्विक खनिज तथा उनका वितरण :

बिहार में प्राप्त होने वाले आधात्विक खनिजों में प्रमुख हैं चूना पत्थर, अभ्रक, डोलोमाइट, सिलिका सैंड, पाइराइट, क्वार्ट्ज, फेल्सपार, चीनी मिट्टी, स्लेट तथा शोरा । बिहार में चूना पत्थर का वितरण मुख्यतः कैमूर तथा रोहतास जिलों में है। अभ्रक झारखंड से सटे जिलों नवादा, जमुई और बाँका जिलों में मिलता है। यहाँ खासतौर पर ‘मस्कोव्हाइट’ किस्म का अभक प्राप्त होता है, जो काफी उच्च किरम का माना जाता है। तीसरा अधात्विक खनिज डोलोमाइट है, जो कैमूर और रोहतास जिलों में मिलता है। सिलिका सैंड मुख्यतः मुंगेर जिले में मिलता है। पाइराइट एक प्रमुख अधात्विक खनिज है, जो रोहतास जिले के आमझोर पहाड़ी पर मिलता है। दूसरा जिला कैमूर है, लेकिन यहाँ का भंडार रोहतास के भंडार से कम है। क्वार्ट्ज की प्राप्ति गया, नवादा, मुंगेर एवं बाँका जिलों में होती है। यह एक मूल्यवान पत्थर माना जाता है। फेल्सपार भी एक मूल्यवान पत्थर है, किन्तु इसकी मात्रा बिहार में बहुत कम है। यह बिहार के दक्षिणी जिलों में मिलता है। चीनी मिट्टी का भंडार मुंगेर, भागलपुर तथा बाँका जिलों में है। लखीसराय, मुंगेर और भागलपुर जिलों में स्लेट पत्थर मिलता है। सारण, पूर्वी एवं पश्चिमी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, पटना, नालन्दा, जहानाबाद, औरंगाबाद जिलों मे शोरे की प्राप्ति पर्याप्त मात्रा में होती है। पाठ्यपुस्तक में ग्रेफाइट को परमाणु खनिज माना गया है, जिसकी प्राप्ति मुंगेर और रोहतास जिलों में होती है। ईंधन खनिज गंगा की द्रोणी में मिलने की संभावना है।

प्रश्न 6. बिहार के प्रमुख ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए और किसी एक स्रोत का विस्तार से वर्णन कीजिए ।

उत्तर- बिहार में प्रमुख ऊर्जा स्रोतों में दो को प्रमुख माना जा सकता है। वे हैं: परम्परागत ऊर्जा स्रोत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत । लेकिन बिहार में इनमें से किसी का अच्छा विकास नहीं हुआ है। इन दोनों स्रोतों को विकसित करने का प्रयास किया जा सकता है।

गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत :

बिहार में गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत की आपार सम्भावनाएँ हैं। इनमें कुछ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी हैं। इनमें जल ऊर्जा, बायोमॉस ऊर्जा, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा हैं, जिनका विकास कर बहुत हद तक बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों की ऊर्जा आवश्कयता की पूर्ति की जा सकेगी। बिहार में एक सौ के लगभग स्थानों की पहचान की गई है, जहाँ लघु जल विद्युत परियोजनाओं का विकास किया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि उनसे लगभग 4600 मेगावाट बिजली प्राप्त की जा सकती है।

बिहार में बायोमॉस आधारित विद्युत् परियोजनाओं की स्थापना के बाद 200 मेगावाट की क्षमता अभी मौजूद है। पवन ऊर्जा पर आधारित बिजली परियोजनाओं की स्थापना के लिए सम्भावित उपयुक्त स्थानों की पहचान हेतु राज्य की एक एजेंसी ने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के सहयोग से ‘पवन संसाधन आकलन कार्यक्रम’ को कार्यान्वित करने के लिए तत्पर है। बायो गैस ग्रामीण क्षेत्रों में रसोई बनाने सम्बंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इस दिशा में कांग्रेस के जमाने से ही प्रयास किया जा रहा है। अबतक राज्य में एक लाख पचीस हजार संयत्र स्थापित किए जा चुके हैं। इस गैस से रसोई बनाने के साथ प्रकाश भी प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन इसमें बौल के स्थान पर मेन्टल का व्यवहार करना पड़ेगा।

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